Live Beyond Life
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ना तीर कोई ना कमान हूँ मैं।
शहरभर में यूँ ही बदनाम हूँ मैं।
सच कहने की बुरी आदत है।
लोग कहते है बदजुबान हूँ मैं।
सच कहना भी गुनाह है यारो।
इसी गुनाह का बस लगान हूँ मैं।
सच सबको कँहा सुहाता है।
कभी जिल्लत कभी नाम हूँ मैं।
हुक्म निकला है बिकेगा नकली।
खारिज हो गया फ़रमान हूँ मैं।
लोग डरते हैं नाहक मुझसे।
ना नतीजा हूँ ना इम्तिहान हूँ मैं।
सदियाँ लगती है सच समझने में।
बिना छपा सा एक दीवान हूँ मैं।
…… Rawal Kishore
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